रजत जयंती फैलोषिप
पृष्ठभूमि
26 अक्टूबर 1981 को म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का गठन इस उदेश्य से किया गया था कि राज्य के सामान्य जन और विशेषकर दलित, उपेक्षित एवं पिछड़े समाज का सर्वागीण प्रगति और उनके दैनंदिन जीवन में गुणात्मक सुधार के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुडे़ सभी वर्ग अपना योगदान देंगें। साथ ही म.प्र. के संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए राज्य समृद्धि की दिशा में आगे बढे़गा।
परिषद ने अपने इस विशद उद्देश्य की पूर्ति करते हुए 30 वर्षो से अधिक की यात्रा पूरी कर ली है। वर्ष 2007-2008 को परिषद् के रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया गया था। रजत जयंती वर्ष के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित कुछ बडे प्रकल्पों पर कार्य प्रारंभ किया गया है और एक नई शुरूआत के रूप में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वरिष्ठ वैज्ञानिकों को उच्च स्तरीय शोध कार्य हेतु प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित राजारमन्ना फैलोशिप, रामानुजम फैलोशिप एवं जे. सी. बोस फैलोशिप को आधार मानते हुए, परिषद् में, रजत जयंती फेलो परियोजना प्रारंभ की गई है।
यह भी विचार किया गया है कि प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं में प्रचुर मानव संसाधन उपलब्ध है। आवश्यकता है इसे एक समयबद्ध कार्यक्रम से जोड़ते हुए प्रदेश के हित में इसका पुर्ननियोजन किया जाए। विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक सेवानिवृत परन्तु संभावनाओं एवं क्षमताओं से परिपूर्ण विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। इनका उपयोग प्रदेश की आवश्यकताओं को देखते हुए एक निश्चित दिशा एवं कार्यक्रम के रूप में किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्धेश्य प्रदेश में उपलब्ध राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद् जो कि सेवानिवृत हो चुके हैं, परन्तु जिनमें असीम संभावनाए निहित हैं, ऐसी वैज्ञानिक प्रतिभाओं का नये सिरे से उपयोग करते हुए प्रदेश के अक्षय विकास में योगदान करना है।