परिचय और उद्देश्य
प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण, विकास एवं प्रबंधन में सुदूर संवेदन तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस तकनीक को पूर्व प्रचलित पद्धति के साथ एकीकृत करने पर किसी भी क्षेत्र के बारे में जानकारी कम समय एवं कम लागत में प्राप्त की जा सकती है। साथ ही सुदूर संवेदन तकनीक द्वारा किसी भी समय की किसी भी क्षेत्र विषेष की जानकारी एक सुविधाजनक अवस्था में रखी जा सकती है तथा आवष्यकता पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सकता है। उपग्रह चित्रों से किसी भी स्थान पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के बारे में सही एवं अद्यतन जानकारी कम लागत तथा कम समय में प्राप्त की जा सकती है।
भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग द्वारा अंतरिक्ष में उपग्रह भेजकर उपग्रह चित्र निरन्तर प्राप्त करने का कार्यक्रम बनाया गया है। राज्य शासन द्वारा राज्य के विकास में सहायता देने हेतु तथा प्राकृतिक संसाधनों के वैज्ञानिक प्रबंधन संबंधी गतिविधियों एवं योजना कार्यक्रमों में सुदूर संवेदन चित्रों एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) तकनीकों का उपयोग करते हुए म. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्् के अंतर्गत वर्ष 1984 में राज्य-स्तरीय सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र की स्थापना की गई। इस केन्द्र ने स्थापना के बाद अल्पावधि में ही उपग्रह चित्रों का उपयोग करते हुए कई राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को पूर्ण किया है। इस केन्द्र द्वारा तैयार किये गये मानचित्रों का मध्यप्रदेष शासन के विभागों/संस्थाओं जैसे कृषि, वन, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, आवास एवं पर्यावरण, राजस्व, नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा अपने विकास कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। विगत् वर्षों में सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र ने म.प्र. शासन के विभिन्न विभागों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रदेष के संसाधनों की अद्यतन जानकारियां प्रदान कर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भविष्य में भी यह केन्द्र म.प्र. के प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण एवं प्रबंधन में अत्यन्त उपयोगी साबित हो सकता है। इस केन्द्र का विस्तार जारी है । वर्तमान में इस केन्द्र का देष के प्रमुख केन्द्रों में स्थान है ।
उद्देष्य
- सुदूर संवेदन तकनीक द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का सर्वेक्षण एवं मानचित्रण।
- सुदूर संवेदन के क्षेत्र में वैज्ञानिकों/अधिकारियों/ फेकल्टी एवं विद्यार्थियों को प्रषिक्षण प्रदान करना ।
- विभिन्न उपयोगकत्र्ता संगठनों को सुदूर संवेदन डाटा, प्रयोगषाला सुविधायें एवं प्रषिक्षण प्रदान करना ।
- सुदूर संवेदन एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना ।
- सुदूर संवेदन एवं जी. आई. एस. तकनीकों द्वारा मध्यप्रदेष के विकास एवं प्रबंधन गतिविधियों/कार्यक्रमों में सहायता प्रदान करना । इसमें जल संसाधन, फसल मानिटरिंग, लैड यूज मैपिंग, खनिज संसाधन सर्वेक्षण, वाटरषेड डेवलपमेंट प्रोग्राम का मानिटरिंग, वनों का मानचित्रण एवं पर्यावरणीय प्रभावों का विष्लेषण आदि सम्मिलित हैं ।
सुदूर संवेदन उपयोग केंद्र, म. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् की प्रमुख योजना है, जिसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रभाग हैं:-
- कृषि एवं मृदा प्रभाग
- भू संसाधन प्रभाग
- वन एवं पर्यावरण विज्ञान प्रभाग
- जी. आई. एस. इमेज प्रोसेंिसंग प्रभाग
- भूमि उपयोग एवं शहरी सर्वेक्षण
- म. प्र. संसाधन एटलस प्रभाग
- रिमोट सेसिंग डाटा लाइब्रेरी प्रभाग
- जल संसाधन प्रभाग