अनुसंधान एवं विकासीय गतिविधियां

अनुसंधान एवं विकासीय गतिविधियां

पृष्ठभूमि

म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के मुख्य उद्देश्यों के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकाश के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देना एवं प्रदर्शन, प्रशिक्षण, प्रायोजन, प्रोत्साहन एवं समन्वयन करना है। इस हेतु राज्य में विभिन्न संस्थानों से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्राप्त होने वाली शोध परियोजनाओं का विश्लेषण कर विशेषज्ञों को अनुदान प्रदान किया जाता है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत शोधकर्मी एवं वैज्ञानिकों को देश विदेश के उच्च कोटि के वैज्ञानिक विशेषज्ञों से संपर्क स्थापित करने, उनकी योग्यता एवं क्षमता में वृद्धि करने उद्देश्य से परिचर्चा, संगोष्ठी इत्यादित के आयोजन हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही प्रदेश में कार्यरत वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने शोध पत्रों के वाचन हेतु सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत वैज्ञानिकों से मंत्रणा कर अपनी अनुसंधान क्षमताओं में वृद्धि करने का अवसर मिलता है। अनुसंधान एवं विकासीय गतिविधियों के अंतर्गत प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों को शोध के क्षेत्र में प्रोत्साहन एवं उच्च तकनीकी प्रशिक्षण हेतु
विशिष्ठ कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। इस प्रकार इन क्रियाकलापों से प्रदेश के वैज्ञानिकों की कार्यक्षमता का विकाश करते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में सहायता मिलती है तथा प्रदेश में शोध संबंधी कार्यों को प्रोत्सहान मिलता है। इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित कार्यक्रम/परियोजायें क्रियान्वित की जायेगी.

सेमीनार / सिम्पोसिया / वर्कषाप

पृष्ठभूमि

यह योजना प्रदेश के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों को देश विदेश के उच्च कोटि के वैज्ञानिक विशेषज्ञों से संपर्क स्थापित करने, उनकी योग्यता एवं क्षमता में वृद्धि करने एवं उन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सुद्ढ़ बनाने के उद्देश्य से आरंभ की गई हैं। परिषद् द्वारा सेमीनार, संगोष्ठी तथा कार्यशालाओं के आयोजन हेतु विभिन्न विषयों पर प्रस्ताव आमंत्रित किये जाते है।

उद्देश्य

सेमीनार, संगोष्ठी एवं वैज्ञानिक कार्यशालाओं के आयोजन से प्रदेश की वैज्ञानिक प्रतिभाओं को अपने शोध कार्य के प्रस्तुतीकरण तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों के साथ परिचर्चा कर वैज्ञानिक क्षमता का विकास करना इस योजना का मुख्य उद्देष्य हैं। इस वित्तीय वर्ष में लगभग 40 कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

अनुसंधान परियोजनाएं

पृष्ठभूमि

म. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के मुख्य उद्देश्यों के अन्तर्गत प्रदेश की वैज्ञानिक प्रतिभाओं को चिन्हित करते हुए अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना है। अनुसंधान परियोजनाए प्रदेश के न केवल विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा शोध संस्थाओं तक सीमित हैं, बल्कि इनका विस्तार स्वंयसेवी संस्थाओं तक किया गया है। परिषद् द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित भौतिक विषयों पर शोध हेतु अनुदान दिया जाना है।

उद्देश्य

अनुसंधान परियोजनाओं के क्रियान्वयन का मुख्य उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रदेश के प्राकृतिक एवं जैविक संसाधनों का अक्षय दोहन करते हुए प्रदेश का सर्वांगीण विकास है। इसके अतिरिक्त इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश के वैज्ञानिकों की कार्य क्षमता विज्ञान का विकास करते हुए उनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में सहायता मिलती है तथा प्रदेश के शोध संबंधी क्रिया कलापों को प्रोत्साहन मिलता है।

पारंपरिक ज्ञान का प्रलेखीकरण एवं वैज्ञानिक सत्यापन

पृष्ठभूमि

मध्यप्रदेश जैव विवधता एवं परम्परागत ज्ञान के क्षेत्र में अत्यंत समृद्ध है। यह देश का सर्वाधिक वन क्षेत्र तथा अनुसूचित जनजातियों के बाहुल्य वाला प्रदेश है। इन विशेषताओं के चलते प्रदेश की समृद्ध जैव सम्पदा के साथ प्रदेश जनजातीय मूलक एवं देशज ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी है। प्रदेश के परम्परागत ज्ञान का विशेष रुप से स्वास्थ्य, कृषि, जल प्रबंधन, पर्यावरण एवं वानकी इत्यादि क्षेत्रों में विशेष महत्व है। विश्व व्यापार संगठन की मुक्त व्यापार संबधी अनुशसाएं हमारे देश पर भी लागू होती है, ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो गया है, कि न केवल हम अपने परम्परागत ज्ञान का संरक्षण करें बल्कि इस परम्परागत ज्ञान का प्रौधोगिकी विकास, नये रोजगारों के सृजन एवं औद्योगिकरण के क्षेत्र में उपयोग किया जावे। इसके लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि इस ज्ञान को विज्ञान की कसौटी पर कसते हुए इसका वैज्ञानिक सत्यापन करते हुए व्यवस्थित प्रलेखन किया जाय, इससे हमारे इस देशज ज्ञान को मान्यता मिलेगी एवं इससे प्राप्त लाभ से संबंधित व्यक्ति या समुदाय की भी सहभागिता होगी। इस योजना के क्रियान्वयन से मुख्य रुप से ग्रामीण एवं आदिवासी जन समुदाय लाभान्वित होगा ओर इसके साथ-साथ नए-नए उत्पाद एवं प्रक्रिया का भी विकास होगा इस ज्ञान के प्रलेखीकरण एवं सत्यापन से बायोपायरेसी को भी रोका जा सकेगा तथा अवांछित पेटेट पर देश विदेश में रोक लगाई जा सकेगी।

इसके साथ-साथ म.प्र.शासन एवं परिषद् द्वारा ग्रामीण अन्वेशणों को पुरस्कृत करने एवं ऐसी गतिविधियों को अन्य माध्यम से भी प्रोत्साहित करने का निर्णय किया गया है। यह पाया गया है कि आधुनिक विज्ञान की नई विधाओं जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो टेक्नोलॉजी इत्यादि विषयों की मूल विषयवस्तु केवल अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषाओं में ही उपलब्ध है एवं इसका लाभ ग्रास रुट लेवल अथवा कस्बों एवं ग्रामीण परिवेश के लोगों को नही मिल पाता। इसकी वजह से विज्ञान के इन अग्रणी क्षेत्रों में ना ही उनकी जानकारी बढ़ पाती है और ना ही वे इस विषय पर कुछ कार्य कर सकते हैं। तात्पर्य यह है कि जब तक विषय को अच्छी तरह या सहज रूप से ना समझा जाये तब तक ये कार्य नही किया जा सकता है और आधुनिक विज्ञान की महत्वपूर्ण विधाओं को हिन्दी या क्षेत्रीय भाषाओं में अनुसृजन करने की योजना परिषद द्वारा शुरू की गई है। इस योजना के अतंर्गत प्रदेश में उपलब्ध ऐसे ज्ञान की विषय वस्तु जिसे विधिवत लिपिबद्व अथवा व्यवस्थित नही किया जा सका है उसका प्रलेखन किया जावेगा जिससे बौद्धिक संपदा के संरक्षण के साथ साथ अक्षय विकास हेतु इसका दोहन किया जा सके।

उद्देश्य

विभिन्न भाषा में उपलब्ध वैज्ञानिक साहित्य का अनुसृजन कर सुलभ रूप से समझाी जा सकने वाली भाषा एवं श्रृव्य माध्यम से आमजन को उपलब्ध कराना।

  • ग्रामीण परम्परागत जानकारी को हिन्दी एवं अंग्रेजी में आवष्यकतानुसार प्रलेखित कर सुरक्षित करना।
  • बौद्धिक संपदा संरक्षण सुनिष्चित करना।
  • ग्रामीण अन्वेषणों को प्रोत्साहित करने हेतु उनके अन्वेशणों को प्रालेखित करते हुये उपयोग में लिया जाना।
  • परम्परागत/देषज ज्ञान का सत्यापन एवं अनुप्रयोग।
  • संस्थाओं/संस्थानों के परस्पर समन्वयन कर उनकी स्वयं की कार्यक्षमता एवं दक्षता का विकास करना।
  • परम्परागत ज्ञान की वैज्ञानिक मान्यता स्थापित करना।
  • परम्परागत ज्ञान का उचित उपयोग तथा उससे औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करना।
  • समाज एवं जन साधारण की आंचलिक व क्षेत्रीय समस्याओं को परम्परागत ज्ञान द्वारा हल करना।
  • प्रदेश में उपलब्ध संसाधनों एवं सुविधाओं को जोड कर अनुसंधानात्मक गतिविधियों को दिशा एवं गति प्रदान करना व परिणाम सूचक परियोजनाएं क्रियान्वित करना।
  • परम्परागत ज्ञान के उपयोग से प्राप्त लाभ में पराम्परागत ज्ञान धारक को सहभागिता सुनिश्चित करना।
  • परम्परागत ज्ञान धारक की बौद्धिक क्षमता संरक्षित करना।

युवा वैज्ञानिक प्रषिक्षण अघ्येतावृति

पृष्ठभूमि

प्रदेश के विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई युवा वैज्ञानिक/विद्यार्थी कार्यरत है तथा उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर शोध कार्य को आगे बढ़ा रहे है। देश में अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के कई शोध संस्थान है, जिसमें अग्रणी उपकरण तथा उत्कृष्ट वैज्ञानिक संसाधन उपलब्ध है। अतएव यह विचार किया गया कि प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों/शोधार्थियों को इन प्रयोगशालाओं/संसाधनों में प्रषिक्षण हेतु भेजा जाये ताकि प्रदेश के युवा वैज्ञानिक नवीनतम तकनीकी से अवगत हो एवं अपने कार्य की गुणवत्ता एवं दक्षता बढ़ा सकें।

उद्देश्य

प्रदेश के शोध संस्थानों, प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्यरत युवा वैज्ञानिक/शोद्यार्थी को उच्च प्रशिक्षण हेतु देश की अग्रणी प्रयोगशालाओं में भेजना। विज्ञान के क्षेत्र में हुए नवीनतम तकनीकी से अवगत कराना। शोध की गुणवत्ता बढ़ाना एवं वैज्ञानिक दक्षता का विकास करना। प्रशिक्षण उपरांत अपने संस्थान/विभाग में नवीन शोध कार्य प्रारम्भ करना।

युवा वैज्ञानिक हेतु योजना/युवा वैज्ञानिक सम्मेलन एवं प्रषिक्षण

पृष्ठभूमि

प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों को शोध के क्षेत्र में प्रोत्साहन देने एवं उचित मंच प्रदान करने हेतु म.प्र. विज्ञान एवं प्रौधोगिकी परिषद प्रतिवर्ष युवा वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन करती है। अभी तक परिषद प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों / संस्थाओं के माध्यम से 27 युवा वैज्ञानिक सम्मेलनों का आयोजन कर चुकी है।

पूर्व वर्षो में अभियांत्रिकीय संकाय में मात्र एक पुरस्कार दिया जाता था। 27वीं युवा वैज्ञानिक सम्मेलन में अभियांत्रिकी पर विशेष ध्यान देते हुये इसकी आठ विधाओं में पृथक से शोध पत्र आमंत्रित किये गये।

उद्देश्य

म.प्र. विज्ञान एवं प्रौधोगिकी परिषद युवा प्रतिभा को उभारने हेतु प्रतिवर्ष युवा वैज्ञानिक तथा इंजीनियरिंग सम्मेलन का आयोजन करती है। सम्मेलन का उद्देश्य प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की पहचान कर उन्हें शोध योजना हेतु प्रोत्साहित करना है। साथ ही युवा वैज्ञानिकों को उच्च स्तरीय शोध की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, शोध एवं अनुसंधान संस्थानों में उच्च तकनीकी प्रशिक्षण हेतु 3-6 महिनों के लिए भेजा जाता है जिस हेतु उन्हें छात्रवृत्ति, यात्रा अनुदान एवं दैनिक भत्ता आदि का आर्थिक सहयोग परिषद द्वारा प्रदान किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय यात्रा अनुदान योजना

पृष्ठभूमि

प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत शोधकर्मी, वैज्ञानिकगण एवं शिक्षाविदे को अपने शोध पत्रों के अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर वाचन करने, वैज्ञानिक प्रतिभा के प्रोत्साहन हेतु मंच प्रदान कर, अनुसंधान क्षमता का विकास करने हेतु परिषद् द्वारा इस योजना का प्रारंभ किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत विज्ञान एवं प्रौधोगिकी के सभी विषयों के शोध पत्रों का वाचन करने हेतु परिषद यात्रा अनुदान प्रदान करती है।

उद्देश्य

इस योजना के अन्तर्गत परिषद् प्रदेश में अनुसंधानरत वैज्ञानिक/विधार्थियों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने शोध पत्रों का वाचन करने हेतु यात्रा अनुदान प्रदान करती है, जिससे उनके द्वारा किये गये शोध को नई पहचान प्राप्त होती है एवं उनके द्वारा किये गये शोध को आगे बढाने में सहायता प्राप्त होती हैं। इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के लगभग 50 वैज्ञानिकों को सहयोग दिये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

रजत जयंती फैलोषिप

पृष्ठभूमि

26 अक्टूबर 1981 को म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का गठन इस उदेश्य से किया गया था कि राज्य के सामान्य जन और विशेषकर दलित, उपेक्षित एवं पिछड़े समाज का सर्वागीण प्रगति और उनके दैनंदिन जीवन में गुणात्मक सुधार के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुडे़ सभी वर्ग अपना योगदान देंगें। साथ ही म.प्र. के संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए राज्य समृद्धि की दिशा में आगे बढे़गा।

परिषद ने अपने इस विशद उद्देश्य की पूर्ति करते हुए 30 वर्षो से अधिक की यात्रा पूरी कर ली है। वर्ष 2007-2008 को परिषद् के रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया गया था। रजत जयंती वर्ष के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित कुछ बडे प्रकल्पों पर कार्य प्रारंभ किया गया है और एक नई शुरूआत के रूप में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वरिष्ठ वैज्ञानिकों को उच्च स्तरीय शोध कार्य हेतु प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित राजारमन्ना फैलोशिप, रामानुजम फैलोशिप एवं जे. सी. बोस फैलोशिप को आधार मानते हुए, परिषद् में, रजत जयंती फेलो परियोजना प्रारंभ की गई है।

यह भी विचार किया गया है कि प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं में प्रचुर मानव संसाधन उपलब्ध है। आवश्यकता है इसे एक समयबद्ध कार्यक्रम से जोड़ते हुए प्रदेश के हित में इसका पुर्ननियोजन किया जाए। विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक सेवानिवृत परन्तु संभावनाओं एवं क्षमताओं से परिपूर्ण विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। इनका उपयोग प्रदेश की आवश्यकताओं को देखते हुए एक निश्चित दिशा एवं कार्यक्रम के रूप में किया जाना सुनिश्चित किया गया है।

उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्धेश्य प्रदेश में उपलब्ध राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद् जो कि सेवानिवृत हो चुके हैं, परन्तु जिनमें असीम संभावनाए निहित हैं, ऐसी वैज्ञानिक प्रतिभाओं का नये सिरे से उपयोग करते हुए प्रदेश के अक्षय विकास में योगदान करना है।