बारम्बार पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.)
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प्र. 1. प्रमुख खनिजों की खनिज रियायत प्राप्त करने तथा पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खनन पट्टा प्राप्त करने के लिए आवेदन कहाँ करें ?
उत्तर : पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खनन पट्टा प्राप्त करने के लिए आवेदन प्राप्त करने हेतु जिलों के कलेक्टर कार्यालय अधिकृत हैं।
प्र. 2. यदि खोज अनुज्ञा ऐसे क्षेत्र के लिए वांछित हो जो एक से अधिक जिलों में आते हैं तो आवेदन कहाँ प्रस्तुत करें ?
उत्तर - खोज अनुज्ञा प्राप्त करने के लिए आवेदन , संचालनालय - भौमिकी एवं खनन , भोपाल को प्रस्तुत करें।
प्र. 3. खनिज रियायत प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत करते समय क्या सावधानियां रखी जाना चाहिए ?
उत्तर - आवेदन पत्र, खनिज रियायत नियम 1960 के निर्धारित प्रपत्र में ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जो कि भारत सरकार के खान मंत्रालय की वेबसाइट " mines.nic.in " पर उपलब्ध है। सभी प्रविष्टियाँ हर प्रकार से पूर्ण की जाना चाहिए तथा उनके समर्थन में खनिज रियायत नियम 1960 के नियम 9, 22 के प्रावधानों के अनुसार दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किये जाना चाहिए। इन सभी दस्तावेजों के आभाव में आवेदन के निराकरण में विलम्ब हो सकता है। अपूर्ण आवेदनों को निरस्त किया जा सकता है।
प्र. 4. अन्वेषण अनुज्ञा / खनन पट्टे के लिए कलेक्टर कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत करने के पश्चात आवेदनों पर कार्रवाई हेतु कौन कौन से कदम उठाये जावेंगे ?
उत्तर - 1. आवेदनों की शुद्धता सुनिश्चित करने के पश्चात निम्नानुसार विभिन्न विभागों से रिपोर्ट (प्रतिवेदन) मंगाई जावेंगी : -
(अ) राजस्व विभाग
(ब) वन विभाग
(स) ग्राम पंचायत की रिपोर्ट
(द) यदि आवेदित क्षेत्र खनिज रियायत नियम 1960 के प्रावधानों के अनुसार प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है तो सम्बंधित राज्य / केंद्रीय प्राधिकारी की रिपोर्ट मंगाई जावेगी।
2. आवेदन की जांच के पश्चात यह आगामी कार्यवाही हेतु राज्य सरकार को भेजा जाता है।
प्र. 5. पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खनन पट्टा स्वीकृत करने के अधिकार किसे प्रदत्त किये गए हैं ?
उत्तर - पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खनन पट्टा स्वीकृत करने के अधिकार राज्य सरकार के खनिज साधन विभाग को दिए गए हैं।
प्र. 6. वन भूमि में, खनिज रियायत (पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खनन पट्टा) किस प्रकार प्राप्त की जा सकती है ?
उत्तर - नियमानुसार राज्य सरकार की सहमति तथा खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन ) अधिनियम १९५७ के प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन के पश्चात आवेदक, वन संरक्षण अधिनियम १९८० के तहत अनुमति प्राप्त करने हेतु आवश्यक कदम उठा सकता है। सभी स्वीकृत्यां मिल जाने का पश्चात राज्य सरकार द्वारा अधिकार प्रदान किया जाता है।
प्र. 7. स्वीकृति हेतु एक से अधिक आवेदन होने के सम्बन्ध में सुनवाई किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर - राज्य सरकार, आवेदकों को उनकी योग्यताओं एवं क्षमताओं को विभाग के प्रभारित माननीय मंत्री के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करती है , जो कि मामले की सुनवाई व्यक्तिगत रूप से करते हैं, तथा लिखित विवरण भी प्रस्तुत किया जा सकता है।
प्र. 8. एक प्रशासकीय निर्णय लेने के पश्चात कौन कौन से कदम उठाए जावेंगे ?
उत्तर - अनुसूची - I के खनिजों तथा खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन ) अधिनियम 1957 के प्रावधानों के अनुसार यदि भारत सरकार से कोई रियायतें मांगी गयी हों तो प्रकरण भारत सरकार के खनन मंत्रालय को पूर्व अनुमोदन के लिए भेजा जावेगा। भारत सरकार द्वारा विधिवत अनुमोदन (यदि आवश्यक हो ) के पश्चात, राज्य सरकार आवेदक को भारतीय खान ब्यूरो द्वारा अनुमोदित खनन योजना प्रस्तुत करने हेतु एक पत्र जारी करेगी। खनन योजना प्रस्तुत करने के पश्चात अधिकार सम्बन्धी आदेश जारी कर दिए जावेंगे।
प्र.9. पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खनन पट्टे के अनुबंध को कौन निष्पादित करेगा ?
उत्तर - सम्बंधित जिले के जिला कलेक्टर।
प्र.10. य़दि पूर्व परीक्षण अनुज्ञा एक से अधिक जिलों के अधिकार क्षेत्र में आता हो तब अनुबंध का निष्पादन किसके द्वारा किया जावेगा ?
उत्तर - संचालक, भौमिकी एवं खनन मध्यप्रदेश।
प्र.11. राज्य में गौण खनिजों के नियमन के लिए क्या प्रावधान हैं ?
उत्तर - राज्य के गौण खनिज, मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 द्वारा प्रशासित किये जावेंगे।
प्र.12. राज्य में गौण खनिजों के लिए कितने प्रकार के खनिज अधिकार उपलब्ध कराए जाते हैं ?
उत्तर - मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के अनुसार राज्य द्वारा गौण खनिजों के लिए तीन प्रकार के खनिज अधिकार प्रदान किये जाते हैं जो कि खान का पट्टा, खान की नीलामी और अस्थाई अनुज्ञा हैं।
प्र.13. किन खनिजों के लिए खान पट्टे स्वीकृत किये जाते हैं ?
उत्तर - मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 की अनुसूची - I में वर्णित गौण खनिजों के लिए खान पट्टों की स्वीकृति दी जाती है, जिनमें ग्रेनाइट, संगमरमर, फर्शी पत्थर (फ्लैगस्टोन), क्रशर के लिए पत्थर आदि शामिल हैं I
प्र. 14. ग्रेनाइट और संगमरमर के लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञा / खान पट्टे की स्वीकृति देने के लिए क्या प्रावधान हैं ?
उत्तर - मध्यप्रदेश ग्रेनाइट संरक्षण एवं विकास नियम 1996 तथा संगमरमर विकास एवं संरक्षण नियम 2002 को दृष्टिगत रखते हुए इन खनिजों के खनिज अधिकार मध्यप्रदेश गौण खनिज अधिनियम 1996 के तहत स्वीकृत किये जाते हैं।
प्र. 15. खान पट्टे के लिए आवेदन कहाँ प्रस्तुत करना चाहिए ?
उत्तर - सम्बंधित जिले के जिला कलेक्टर के कार्यालय में।
प्र. 16. खान पट्टे की स्वीकृति के अधिकार किसे प्रदत्त हैं ?
उत्तर - खनिजों के प्रकार तथा आवेदित क्षेत्र के आकर के आधार पर मध्यप्रदेश गौण खनिज अधिनियम 1996 के प्रावधानों के अनुरूप खान पट्टे आवंटन के अधिकार कलेक्टर, संचालक और मध्यप्रदेश शासन को सौंपे गए हैं। प्रमुख अधिकार निम्नानुसार हैं।
1. संगमरमर और ग्रेनाइट - राज्य सरकार
2. फ्लैगस्टोन (फर्शी पत्थर ) - 4 हैक्टेयर से अधिक - राज्य सरकार और 4 हैक्टेयर से कम - जिला कलेक्टर।
3. क्रशर के लिए पत्थर - 4 हैक्टेयर से अधिक - संचालक, भौमिकी एवं खनन तथा 4 हैक्टेयर से कम - जिला कलेक्टर
4. खान नीलामी - जिला कलेक्टर
5. अस्थाई अनुज्ञा - जिला कलेक्टर
प्र. 17. खान पट्टों के अनुबंध निष्पादित करने के अधिकार किसको प्रदत्त हैं ?
उत्तर - सम्बंधित जिले के जिला कलेक्टर को।
प्र. 18. किन खनिजों के लिए नीलामी के जाती है और कितनी समयावधि के लिए ?
उत्तर - रेत, मुरम और साधारण पत्थर की खानों की नीलामी जिला कलेक्टर द्वारा 2 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है।
प्र. 19. इस प्रकार की नीलामी की शक्तियां किसे प्रदत्त हैं और इसकी प्रक्रिया क्या है।
उत्तर - जिला कलेक्टर, खानों के विवरण एवं नीलामी की तिथि के सम्बन्ध में एक सार्वजनिक सूचना जारी करते हैं। इसके पश्चात मध्यप्रदेश गौण खनिज अधिनियम 1996 में दर्शाई गयी समस्त औपचारिकताओं को पूर्ण करने पर कोई भी व्यक्ति नीलामी और बोली में भाग ले सकता है।
प्र. 20. किन खनिजों के लिए अस्थाई अनुज्ञा स्वीकृत की जाती है ?
उत्तर - गौण खनिजों के लिए अस्थाई अनुज्ञा केवल शासकीय कार्यों हेतु स्वीकृत की जाती है। यह अस्थाई अनुज्ञाएं एक निश्चित अवधी एवं निश्चित मात्रा के लिए ही स्वीकृत की जाती हैं, और इनका उपयोग केवल शासकीय कार्यों में ही किया जा सकता है। अस्थाई अनुज्ञा जारी करने के लिए जिला कलेक्टर अधिकृत हैं।
प्र. 21. गौण खनिजों के लिए रायल्टी और अनिवार्य किराये की दरें क्या हैं ?
उत्तर - गौण खनिजों के लिए रायल्टी और अनिवार्य किराये की दरें, मध्यप्रदेश गौण खनिज अधिनियम 1996 की अनुसूची III और IV में वर्णित हैं।
प्र. 22. मध्यप्रदेश की सामान्य भौमिकी क्या है ?
उत्तर - मध्यप्रदेश राज्य का क्षेत्रफल 308000 वर्ग कि. मी. है। इस क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संरचना आयु के अनुसार आर्कियन से लेकर वर्त्तमान समय की तक | I
प्र. 23. इस संरचना में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिज कौन से हैं ?
उत्तर - राज्य में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों में कोयला, हीरा, डायस्पोर - पायरोफाइलाइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट, रॉक फॉस्फेट, मैंगनीज़ अयस्क, ताम्बा अयस्क, और कॉल बीएड मीथेन शामिल हैं। इन खनिजों की कुल सम्पदा निम्नानुसार हैं।
(स्रोत : IBM इयर बुक 2007 )
क्रमांक | खनिज का नाम | कुल भण्डार |
---|---|---|
1. | कोयला | 19758.37 मी. टन |
2. | हीरा | 1454958 कैरेट |
3. | डायस्पोर | 3616824 मी. टन |
4. | पायरोफाइलाइट | 15610797 मी. टन |
5. | चूना पत्थर | 5921.18 मी. टन |
6. | डोलोमाइट | 1975.80 मी. टन |
7. | रॉकफॉस्फेट | 50.43 मी. टन |
8. | मैंगनीज़ अयस्क | 62.42 मी. टन |
9. | ताम्बा अयस्क | 404.35 मी. टन |
प्र. 24. मे. रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा मध्यप्रदेश के शहडोल और अनूपपुर जिलों में कॉल बीएड मीथेन के कितने भण्डार का अनुमान लगाया गया है ?
उत्तर - मे. रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा लगभग 3.65 पद्म ( ट्रिलियन ) घन मीटर कोल बेड मीथेन के भण्डार का अनुमान लगाया गया है।
प्र. 25. राज्य में किन महत्वपूर्ण खनिजों का खनन किया जा रहा है ?
उत्तर - कोयला, चूनापत्थर, डोलोमाइट, बॉक्साइट, कैल्साइट, चीनी मिट्टी, फायर क्ले, कांच रेत ( Glass Sand ), लौह अयस्क, लेटराइट, गेरू, रॉक फॉस्फेट, डायस्पोर, पायरोफाइलाइट, स्लेट, सोप स्टोन, खड़िया, क्वार्टज़, बेराइट, ग्रेनाइट, संगमरमर, फ्लैगस्टोन ( फर्शी पत्थर )
प्र. 26. कोई व्यक्ति, संचालनालय, मध्यप्रदेश भूविज्ञान एवं खनन द्वारा तैयार की गयी खनिज भण्डारों की पूर्वेक्षण रिपोर्ट कैसे प्राप्त कर सकता है ?
उत्तर - ऐसी रिपोर्टें संचालनालय से, रुपये 8000/- पूर्वेक्षण क्षेत्र के प्रति हैक्टेयर का भुगतान करके प्राप्त की जा सकती हैं।
प्र. 27. राज्य में महत्वपूर्ण गौण खनिज कौन से हैं ?
उत्तर - राज्य के महत्वपूर्ण गौण खनिजों में ग्रेनाइट, संगमरमर, बलुआ पत्थर, बालू रेत, गिट्टी तथा अन्य निर्माण सामग्री सम्मिलित हैं।
प्र. 28. मध्यप्रदेश में पाया जाने वाला चूना पत्थर किस प्रकार का है ?
उत्तर - मध्यप्रदेश में पाये जाने वाले चूना पत्थर के अधिकांश भण्डार सीमेंट श्रेणी के हैं।
प्र. 29. डोलोमाइट का क्या उपयोग है ?
उत्तर - संगमरमर की गुणवत्ता वाला डोलोमाइट भवन निर्माण, सजावटी और विभिन्न आकार के पत्थर के रूप में प्रयोग किया जाता है। डोलोमाइट का उपयोग इस्पात उद्योगों, तथा रंग और रसायन उद्योगों में भी किया जाता है।
प्र. 30. क्या किसी अन्वेषण अनुज्ञा धारक ने उसके अन्वेषण के आधार पर पूर्वेक्षण अनुज्ञा के लिए आवेदन किया है ?
उत्तर - हाँ, रियो टिंटो ने छतरपुर जिले में हीरे के लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञा (लाइसेंस ) प्राप्त किया है। मे. जियो मैसूर प्रा. लि. ने भी विभिन्न धात्विक खोजों के लिए पूर्वेक्षण लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। और अब मे. रियो टिंटो ने अपने अन्वेषण कार्य के आधार पर हीरे के खनन के लिए खनन पत्ते हेतु आवेदन किया है।
प्र. 31. वे महत्वपूर्ण खनिज कौन से हैं जिनका पूर्वेक्षण भौमिकी एवं खनन निदेशालय द्वारा किया जाता है ?
उत्तर - भौमिकी एवं खनन निदेशालय द्वारा चूना पत्थर, डोलोमाइट, लौह अयस्क, और कोयले पूर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। भौमिकी एवं खनन निदेशालय द्वारा जिलों की खनिज सूची भी तैयार की जा रही है।
प्र. 32. देवास जिले में डोलोमाइट के किस श्रेणी के और कितने भण्डार हैं ?
उत्तर - देवास जिले का डोलोमाइट बी एफ़ श्रेणी का प्रतीत होता है और डोलोमाइट का कुल भण्डार लगभग 244.52 लाख टन हो सकता है।
प्र. 33. नवम्बर 2000 में राज्य पुनर्गठन के पश्चात मध्यप्रदेश में लौह अयस्क भंडारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लौह अयस्क का भण्डार 203938 हजार टन है ( मिनरल इयर बुक 2007 (IBM) में प्रकाशित तथ्य के अनुसार ) I लौह अयस्क निम्न श्रेणी का है और इसमें फॉस्फोरस तत्व की मात्र अधिक है।
प्र. 34. राज्य में कहाँ लौह अयस्क प्राप्त होने की सूचना है ?
उत्तर - जबलपुर, कटनी, सागर, छतरपुर, सीधी, खरगोन, मन्दसौर और ग्वालियर जिलों में लौह अयस्क प्राप्त होता है।
प्र. 35. कोल बेड मीथेन क्या है ?
उत्तर - कोल बेड मीथेन एक गैसीय ईंधन है जो की कोयले की सतह पर पाया जाता है।
प्र. 36. मध्यप्रदेश में ग्रेनाइट कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर - उत्तम गुणवत्ता और प्रकार वाला ग्रेनाइट छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, पन्ना और सागर जिलों में पाया जाता है।
प्र. 37. चूना पत्थर के भण्डार कहाँ - कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर - चूना पत्थर के भण्डार दमोह, कटनी, सागर, सतना, रीवा, पन्ना, सीधी, बालाघाट, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, खरगोन, झाबुआ, धार, मन्दसौर, नीमच और मुरैना आदि जिलों में स्थित हैं।
प्र. 38. वर्तमान में राज्य में कितने सीमेंट संयंत्र हैं ?
उत्तर - राज्य में 9 बड़े सीमेंट संयंत्र कार्यशील हैं जो कि रीवा, सीधी, कटनी, सतना और दमोह जिलों में स्थित हैं।
प्र. 39. राज्य में रॉकफॉस्फेट कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर - राज्य में रॉकफॉस्फेट झाबुआ, सागर और छतरपुर जिलों में पाया जाता है।
प्र. 40. राज्य में रॉकफॉस्फेट का खनन कौन कर रहा है ?
उत्तर - मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम
प्र. 41. राज्य में संगमरमर कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर - राज्य में संगमरमर कटनी, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, हरदा, सीधी और झाबुआ आदि जिलों में पाया जाता है।
प्र. 42. अच्छी किस्म का सजावटी संगमरमर कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर - कटनी जिले में स्लीमनाबाद के पास " स्टोन पार्क " है जहाँ संगमरमर की कटाई और घिसाई (पॉलिश ) का कार्य किया जाता है।
प्र. 43. संगमरमर की किस्म कौनसी है ?
उत्तर - कटनी और जबलपुर जिलों में पाया जाने वाला संगमरमर इटैलियन संगमरमर के समान है तथा यह शारजाह (यू. ए. ई. ), यमन, कुवैत, नाइजीरिया, पनामा और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका आदि देशों को निर्यात भी किया जाता है।
प्र. 44. राज्य का फ्लैगस्टोन वाला महत्वपूर्ण क्षेत्र कौनसा है ?
उत्तर - सफ़ेद से ले कर बादामी, दूधिया,गुलाबी और लाल रंगों तक फ्लैगस्टोन की कई किस्मों की श्रृंखला शिवपुरी, गुना, ग्वालियर, पन्ना, विदिशा, रायसेन और सागर आदि जिलों में पाई जाती है।
प्र. 45. क्या फ्लैगस्टोन निर्यात किया जाता है ?
उत्तर - हाँ, शिवपुरी, पन्ना और सागर जिलों का फ्लैगस्टोन निर्यात भी किया जाता है।
प्र. 46. राज्य में किस भूगर्भीय संरचना में कोयले की महत्वपूर्ण सतह पाई जाती है ?
उत्तर - गोंडवाना सुपर समूह के बरकार मैसूर संरचना में कोयले की सतहें पाई जाती हैं।
प्र. 47. भारत की सबसे मोटी कोयले की सतह कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर - देश की सबसे मोटी कोयला सतह सिंगरौली कोयला क्षेत्र में स्थित है, इस कोयला सतह का नाम " झिंगरधा " है और इसकी मोटाई 135 मीटर है।
प्र. 48. मध्यप्रदेश में कोयला कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर - राज्य में कोयले की संरचनाएं सिंगरौली, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, छिंदवाड़ा, बैतूल और नरसिंहपुर जिलों में स्थित हैं।
प्र. 49. इन क्षेत्रों का कोयला किस श्रेणी का है ?
उत्तर - मध्यप्रदेश के कोयला क्षेत्र वाले जिलों में कोयला साधारणतः "ए" से "ई" श्रेणी तक का है।
प्र. 50. बाक्साइट खनिज मध्यप्रदेश में कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर - बाक्साइट अनूपपुर, मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, रीवा, सतना और कटनी जिलों में में पाया जाता है।
प्र. 51. क्या मध्यप्रदेश में ताप रोधी किस्म का बाक्साइट पाया जाता है ?
उत्तर - कटनी, सतना और अनूपपुर जिलों का बाक्साइट उच्च श्रेणी का है और इसका उपयोग प्रदेश में कार्यरत ताप रोधी इकाइयों में किया जाता है।
प्र. 52. मध्यप्रदेश में मैंगनीज़ अयस्क कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर - मध्यप्रदेश में मैंगनीज़ अयस्क बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर और झाबुआ जिलों में पाया जाता है।
प्र. 53. राज्य में मैंगनीज़ अयस्क का खनन कौन कौन कर रहे हैं ?
उत्तर - प्राथमिक रूप से " MOIL" मैंगनीज़ अयस्क के खनन के लिए मुख्य पट्टा धारक हैं। उनकी भरवेली खान एशियाई उपमहाद्वीप में सबसे बड़ी भूमिगत क्रियाशील खान है। कुछ अन्य निजी उद्यमी भी मैंगनीज़ अयस्क के खनन में संलग्न हैं।
प्र. 54. मध्यप्रदेश में ताम्बा अयस्क का खनन कौन कर रहे हैं ?
उत्तर - ताम्बा अयस्क के खनन का कार्य " हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड " द्वारा,बालाघाट जिले के मलांजखंड क्षेत्र में किया जा रहा है।
यदि आपको और कोई जानकारी चाहिए तो कृपया dirgeomn@mp.nic.in पर मेल करें