प्रदेश के औद्योगिकी विकास में खनिज साधनों का महत्व।पूर्ण योगदान होता है। खनिज उपलब्ध1ता की दृष्टि से मध्योप्रदेश राष्ट्रस का चौथा खनिज सम्पपन्नन राज्य है। विकास की आवश्यखकता के अनुरूप खनिजों की मांग औद्योगिकी प्रगति के साथ बढ़ती जाती है। खनिज साधन विभाग द्वारा खनिजों के संरक्षण, अन्वेंषण एवं विधिमान्यक नियमों के अंतर्गत खनिजों के दोहन पर सतत् निगरानी रखते हुए निरंतर कार्यवाही की जा रही है। खनिज साधन विभाग के अधीन गठित मध्यनप्रदेश राज्यत खनिज निगम द्वारा कुछ खनिजों के दोहन का कार्य भी किया जा रहा है। विभाग द्वारा की जा रही कार्यवाही से प्रदेश के राजकोषीय आय में निरंतर वृद्धि तथा नये खनिज भंडारों की खोज का मार्ग प्रस्तुत हो रहा है। वर्ष 2015-16 तक 3610.46 करोड़ खनिज राजस्व राजकीय कोष में संग्रहित हुआ है।
1.1 विभागीय संरचना, अधीनस्थ कार्यालय
खनिज साधन विभाग के अंतर्गत संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म मध्यवप्रदेश तथा सार्वजनिक उपक्रम के रूप में मध्य प्रदेश राज्या खनिज निगम कार्यरत है।
संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म का मुख्या।लय भोपाल में स्थापपित है। इसके अधीन चार क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर, इन्दौुर, रीवा, ग्वा।लियर तथा एक हीरा कार्यालय पन्नाा में स्थािपित है। समस्तर 51 जिलों में कलेक्ट र के निर्देशन में खनि शाखा कार्यरत है। क्षेत्रीय कार्यालय जबलुपर में विभागीय रासायनिक प्रयोगशाला कार्यरत है।
मध्यसप्रदेश राज्य खनिज निगम का मुख्याखलय भोपाल में स्थित है। इसके अधीनस्थ 16 कार्यालय जबलपुर,दतिया ,खरगोन , कटनी, मण्डला, सागर, टीकमगढ़, होशंगाबाद, हरदा, सतना, धार, झाबुआ, मुरैना, होशंगाबाद, शिवपुरी, डबरा (ग्वालियर), देवास, सागर, धार, टीकमगढ़, हरदा, सतना में स्थित है।
1.2 विभाग का दायित्व एवं विभाग से संबंधित सामान्य जानकारी
खनिज साधन विभाग के अंतर्गत कार्यरत संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म के अंतर्गत खनिज अन्वेसषण एवं खनिज प्रशासन कार्य हेतु विभाग में स्वी कृत कुल 841 पदों में से दिनांक 01.01.2014 की स्थिति में 570 पद भरे एवं 271 पद रिक्तत है। विभाग द्वारा निम्नासनुसार दायित्वों4 का निर्वहन किया जा रहा है।
- खनिज अन्वेषण
- खनिज प्रशासन
खनिज अन्वेषण
खनिजों की खोज के कार्य में विभागीय तकनीकी अमला यथा उप संचालक (तक.), सहायक भौमिकीविद् एवं अन्यी तकनीकी/गैर तकनीकी अमला कार्यरत है। विभागीय अन्वे)षण कार्य की रूप रेखा राज्यप भू-वैज्ञानिक कार्यक्रम मंडल द्वारा निर्धारित की जाती है। इस मंडल में राज्यव में कार्यरत केन्द्रीूय शासन की अन्वेाषण एजेन्सियां, जैसे भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय खान ब्यूकरों, कोल इंडिया लिमिटेड, खनिज अन्वेेषण निगम तथा अन्य शासकीय विभाग तथा उपक्रम सदस्य होते रहें है। राज्यन भू-वैज्ञानिक मण्ड ल की 47 वीं बैठक 29.09.2013 को सचिव खनिज साधन विभाग मध्यतप्रदेश की अध्यबक्षता में आयोजित की जाती है। उक्तब बैठक में खनिज क्षेत्र में निवेश कर रही अग्रणी कंपनियों एवं शिक्षाविदों को भी सम्मिलित किया जाता है। संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म मध्य्प्रदेश के अलावा अन्यी केन्द्री य उपक्रमों के द्वारा वर्ष 2013-14 में किये जाने वाले विभिन्नश खनिजों के सर्वेक्षण एवं पूर्वेक्षण कार्य से संबंधित क्षेत्रीय कार्यक्रम को समस्त- सदस्यों द्वारा एकमत से अनुमोदित किया गया। विभाग द्वारा आंकलित खनिज भण्डा रों के प्रतिवेदन निर्धारित शुल्कद जमा करने पर जन सामान्य। को उपलब्धे कराया जाता है। विभाग द्वारा विगत पांच वर्षों में (2007-08 से 2011-12 तक) किये गये अन्वेेषण कार्य एवं उपलब्धियों का विवरण संलग्न परिशिष्ट ''ख'' एक एवं परिशिष्ट1 श्खउश् दो में दर्शित है।
खनिज प्रशासन
खनिज प्रषासन के अंतर्गत विभाग के विभिन्न कार्यालयों में पदस्थ अमले द्वारा प्रदेश में स्वीकृत खनि रियायतों का नियमन, नवीन आवेदनों का निराकरण तथा खनिजों के नियमानुसार दोहन पर नियंत्रण किया जाता है।
खनिज प्रषासन को अधिक सुदृढ़ करने हेतु विभाग में जिला स्तर पर खनिज भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। अब तक 27 जिलों में जिला कार्यालय हेतु खनिज भवन का निर्माण पूर्ण होकर कार्यालय संचालित है। 18 जिलों में निर्माण कार्य प्रगति पर है। 02 जिलों (होशंगाबाद-गुना) में नवीन कलेक्टर कार्यालय में संयुक्त रूप से निर्माण होना है। शेष 03 जिलों में भवन निर्माण हेतु भूमि चयन की प्रक्रिया प्रचलित है।
1.3 विभाग का दायित्व एवं विभाग से संबंधित सामान्य जानकारी
खनिज सम्पदा की दृष्टि से प्रदेष राष्ट्र के आठ खनिज संपन्न राज्यों में से एक है। प्रदेष में प्रमुख रूप से 20 प्रकार के खनिजों का उत्पादन वर्तमान में किया जा रहा है। हीरा उत्पादन में प्रदेश को राष्ट्र में एकाधिकार प्राप्त होने के साथ-साथ मैगनीज, पायरोफिलाइट, ताम्र अयस्क, के उत्पादन में भी राष्ट्र मे प्रथम स्थान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त प्रदेश को डायस्पोर, राकफाॅस्फेट, षैल, फायरक्ले के उत्पादन में द्वितीय तथा चूनापत्थर, ओकर के उत्पादन में तृतीय स्थान प्राप्त है। कोयले के उत्पादन में प्रदेष का स्थान राष्ट्रीय परिदृष्य में चैथा है।