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विभिन्न विभागों के लिए परामर्शदात्री समितियों के गठन तथा कार्यकरण को विनियमित करने के लिए मार्गदर्शक सिद्वांत

  • परामर्शदात्री समितियाॅ ;ब्वदेनसजंजपअम ब्वउउपजजममेद्ध विधान सभा की स्थायी समितियों ;ैजंदकपदह ब्वउउपजजममेद्ध के तुल्य नहीं होगी तथा इन समितियों के विमर्श अनोपचारिक रहेंगे और उनके सम्मिलनों में की गयी चर्चाओं का कोई उल्लेख सदन में नहीं किया जाएगा ।
  • सरकार इन समितियों की सदस्य संख्या संताधीन दल तथा विरोधी दल के सदस्यों से सीधा संपर्क साधकर उनके द्वारा दिए गए प्राधान्य को ध्यान में रखते हुए नियत करेगी । प्रत्येक सदस्य, वह किन-किन समितियों के सदस्य के रूप में रहना चाहता है, इस संदर्भ में अपना प्राधान्य दर्शाएगा और प्रत्येक से इस प्रकार पांच प्राधान्य मांगे जाएंगे । एक सदस्य एक ही समिति में रह सकेगा ।
  • समिति के किसी सदस्य की विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने अथवा मंत्री पद पर नियुक्त होने पर उसकी उस समिति से सदस्यता समाप्त हो जाएगी और यह आवश्यक नहीं होगा कि उस सदस्य के स्थान पर किसी अन्य सदस्य को नामांकित किया जाए ।
  • प्रत्येक विभाग का संबंधित मंत्री अपने विभाग से संबद्ध परामर्श समिति के सम्मिलन की अध्यक्षता करेगा । जब कभी असाधारण कारणों से यह संभव न हो तो सम्मिलन की अध्यक्षता विभाग के राज्यमंत्री या राज्यमंत्री की अनुपस्थिति में उपमंत्री द्वारा की जाएगी अन्यथा सम्मिलन मुल्तवी कर दिया जायगा । परामर्श समिति की बैठक की कार्यवाही जारी रखने हेतु कोरम की आवश्यकता नहीं होगी । यदि बैठक में एक भी सदस्य उपस्थित हुआ तो बैठक सम्पन्न हो सकेगी । यदि दो या दो से अधिक विभागों की संयुक्त समिति बनाई जाती है, जिनके प्रभारी मंत्री पृथक-पृथक हैं, ऐसी समिति की अध्यक्षता समिति के विभागों से संबंधित प्रभारी मंत्रियों में से उपलब्ध वरिष्ठतम मंत्री द्वारा की जाएगी । उनकी अनुपस्थिति में समिति की अध्यक्षता समिति विभागों से संबंधित प्रभारी राज्य मंत्रियों में से वरिष्ठतम राज्य मंत्री द्वारा की जाएगी । किसी मंत्री का विभाग बदलने पर वह केवल उससे संबद्ध विभाग की परामर्श समिति का अध्यक्ष रह सकेगा । इस परिवर्तन को संसदीय कार्य विभाग का सचिव अधिसूचित करेगा ।
  • (1) समितियों की बैठकों की तिथि, समय तथा स्थान संबंधित विभाग की समिति के अध्यक्ष द्वारा निश्चित कराकर बैठक की प्रस्तावित तिथि से कम से कम 30 दिन पूर्व संसदीय कार्य विभाग को लिखित में सूचित करेगा तथा संसदीय कार्य विभाग का सचिव बैठक की सूचनाएं समिति के नियमित सदस्यों को कम से कम निर्धारित तिथि के 20 दिन पूर्व जारी करेगा ।

    (2) बैठकों में चर्चा के लिए सुझाव आदि सदस्यों द्वारा संबंधित विभाग को सीधे भेजे जाएंगे तथा संबंधित विभाग द्वारा बैठक की कार्य सूची विस्तृत टीप के साथ तैयार कर समिति के सदस्यों को तथा संसदीय कार्य विभाग को बैठक के कम से कम दो दिन पूर्व वितरित करेगा । इसके अतिरिक्त प्रत्येक परामर्श समिति की बैठक में संबंधित विभाग द्वारा एक नीति विषयक प्रश्न पर भी एक संक्षेपिका बनाकर रखी जा सकेगी ताकि माननीय सदस्य द्वारा उस पर विचार-विमर्श कर राय दी जा सके और शासन की नीति को अंतिम रूप देने में मदद मिले ।

    (3) यदि समिति के सदस्य से भिन्न कोई सदस्य किसी विशिष्ट समिति की बैठक में चर्चा के लिये किसी बात का सुझाव दें तो उसे बैठक में इन शर्तो के अध्यधीन रहते हुए आमंत्रित किया जा सकेगा कि वह ऐसी बैठकों में उपस्थित होेने के लिए किसी यात्रा भत्ते या दैनिक भत्ते पाने का हकदार नहीं होगा । तथापित नियमित सदस्य अंतःसत्रीय कालावधि के दौरान आयोजित बैठकों में उपस्थित रहने के लिये प्रशासकीय आदेशों के अनुसार यात्रा भत्ते तथा दैनिक भत्ते पाने के हकदार रहेगें ।

  • 1. प्रत्येक समिति की बैठक यथासंभव दो माह में एक बार रखी जाएगी ।

    2. परामर्श समिति की बैठक भोपाल में ही आयोजित की जाना चाहिये । यदि किन्ही कारणों से भोपाल से बाहर किन्तु राज्य के अंदर बैठक रखना आवश्यक हो तो संबंधित विभाग के मंत्रीजी माननीय मुख्यमंत्रीजी से इस संबंध में अनुमति प्राप्त करेगें ।

    3. परामर्श समिति की बैठक में सचिव व विभागाध्यक्ष ही उपस्थित रहेंगे । यदि संबंधित विभाग के सचिव की दृष्टि में बैठक में अन्य किसी अधिकारी की उपस्थिति अत्यन्त आवश्यक हो तो वे उनकी उपस्थिति के लिए प्रभारी मंत्रीजी से अपवाद के रूप में अनुमति प्राप्त कर लेंगे ।

    4. किसी भी समिति का सम्मिलन-

    (क) भोपाल में रखे जाने की दशा में समिति की बैठक की तिथि, स्थान पर स्वल्पाहार आदि की व्यवस्था संबंधित विभाग द्वारा की जाएगी ।

    (ख) भोपाल से बाहर रखे जाने की दशा में ऐसे सम्मिलनों से संबंधित संपूर्ण व्यवस्था, जैसे बैठक का स्थान, सदस्यों तथा संसदीय कार्य विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के ठहरने की व्यवस्था तथा आरक्षण, बैठक के समय जलपान या स्वल्पाहार आदि की व्यवस्था संबंधित विभाग द्वारा की जाएगी ।

    प्रत्येक समिति का सम्मिलन सुचारू रूप से चलाने, अगले सम्मिलन की तारीख निश्चित कराने, उपस्थित रहने वाले सदस्यों की सुविधाओं का ध्यान रखने तथा संबंधित मंत्री तथा सदस्यों को सहायता के लिये संसदीय कार्य विभाग का सचिव स्वयं या उनके द्वारा समय-समय पर पारित सामान्य अथवा विशेष आदेशानुसार नाम-निर्दिष्ट अधिकारी या अधिकारीगण उपस्थित रहेगें ।

    विशिष्ट विषयों पर सम्मिलनों में हुई चर्चाओं का संक्षिप्त अभिलेख एवं वृत्त ;डपदनजमेद्ध जिनके लिए पर्याप्त सूचना दी जा चुकी हो, सदस्यों मे परिचालित किया जाएगा । संबंधित विभाग प्रत्येक सम्मिलन के वृत्त तैयार करेगा तथा उनकी पर्याप्त प्रतियां अगले सम्मिलन की तारीख के 15 दिन पूर्व संसदीय कार्य विभाग को भेजेगा तथा संसदीय कार्य विभाग उन्हें संबंधित सदस्यों में वितरित करेगा ।

    जहा समिति के विचारों में मतैक्य हो तो सरकार सामान्य रूप से उस विचार को मान लेगी, किन्तु निम्नलिखित अपवादों के साथ, अर्थात:-

    (4) कोई ऐसा विचार जिसमें वित्तीय विवक्षाएं सन्निहित हों,

    (5) कोई ऐसा विचार जो राज्य की सुरक्षा से संबंधित हो, और

    (6) कोई भी ऐसी विषय जो स्वायत्त निगम की व्याप्ति के अन्तर्गत आता हो, विचार से सहमत न होने की दशा में समिति को उसके कारण बतलाए जाएंगे ।

  • ये समितिया समस्त विभागों के लिए बनायी जाएंगी ।
  • समितियों का गठन अथवा पुनर्गठन सामान्यतः बजट सत्रों के समय ही किया जाएगा । यह कार्य संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त करने के उपरांत किया जाएगा । परंतु समितियों में अन्य किसी भी प्रकार का संशोधन, जैसे मंत्री-मंडल में फेरबदल के फलस्वरूप समितियों की सूचियों में संशोधन अथवा उप-चुनावों में निर्वाचित हुए सदस्यों का विभिन्न समितियों में मनोनयन आदि संसदीय कार्य मंत्री जी के अनुमोदन के पश्चात् किया जाएगा । संसदीय कार्य विभाग इन समितियों के गठन/पुनगर्ठन अथवा अन्य किसी भी प्रकार के संशोधन को अधिसूचित करेगा । समितियों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा ।
  • इन समितियों में विधान सभा सदस्य ऐसे किसी भी विषय या विषयों पर चर्चा कर सकेंगे जिन पर कि यथोचित रूप से विधान सभा में चर्चा की जा सकती हो । तथापि सदन में ऐसी किसी बात का, जो परामर्श समितियों में हुइ्र्र हो, उल्लेख करना वांछनीय नही होगा ।